ज़िन्दगी

ज़िन्दगी anubhavinc
ज़िद्दी बनो, ज़िन्दगी खुद-ब-खुद आसा हो जाएगी !





जैसे किरण का छोर हो,
वर्षा कोई घनघोर हो ।
ज़िन्दगी क तूफ़ान में-
तनिक न कमज़ोर हो ।


रोज़ आगे चला कर,
नित्य आगे बढ़ा कर ।
ज़िन्दगी की मुश्किलों से-
तनिक ना तू डरा कर ।


रात की वो ओस है तू,
आस का एक स्रोत है तू ।
ज़िन्दगी की राहों पर-
खुद में ही मदहोश है तू ।


आंधी में जलता दीप है तू,
मन में बजता गीत है तू ।
ज़िन्दगी के खेल में-
हर हार जीता वीर है तू ।


खुद को सुधा पीला कर,
बैरियों से मिला कर ।
ज़िन्दगी की आँधियों में-
तनिक ना तू हिला कर ।


चाहे की तारो में फेर हो,
या तू खुद ही ढेर हो ।
ज़िन्दगी के जंगलों में-
चल की जैसे शेर हो ।

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